अगर ऐसे हालातों को रोकने के लिए सिर्फ आपातकाल ही अंतिम चारा बचता है तो सरकार क्या करे?
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अन्ना जी के साथ, सड़क पर हम सब आयें, दिखा दें अपनी शक्ति, लोक धुन उन्हें सुनाएँ, फूल गया है बहुत, भ्रष्टाचारी गुब्बारा, उसमें कर दो इक छेद, यही है अंतिम चारा. ३.
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इनका कहना था कि जब सरकार, भाजपा व वामपंथ ने दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के ख़िलाफ हाथ मिला लिया है तो उनके पास अंतिम चारा यही बचा है कि वे सदन में धरने पर बैठे रहें ताकि गंभीरता का अंदाज़ा कांग्रेस के लोगों को हो.